Category: दर्शन योग महाविद्यालय रोजड़
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Yogdarshanam vyas bhasya sahit (swami styapati ji privrajak hindi bhasy sahit)
Rs.180.00Sold By : The Rishi Mission Trustसमस्त दुखों से निवृत्ति मुक्ति प्राप्त कर लेने पर ही होती है। मुक्ति अविद्या के संस्कारों के नष्ट होने पर संभव है। अविद्या के संस्कार ईश्वर साक्षात्कार के बिना नष्ट नहीं हो सकते और ईश्वर का साक्षात्कार समाधि के बिना नहीं हो सकता। समाधि चित्तवृत्ति निरोध का नाम है। चित्त वृत्तियों का निरोध यम नियम आदि योग के आठ अंगों का पालन करने से होता है। इन यम नियमों से लेकर समाधि और आगे मुक्ति तथा अन्य समस्त साधकों और साधकों का संपूर्ण विधि विधान योग दर्शन में विद्यमान है। हमारा सौभाग्य है कि आज भी हमें महर्षि पतंजलि जैसे महान ऋषियों का संदेश मोक्ष प्राप्ति करने कराने के लिए उपलब्ध है।
मात्र 160/-
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