Category: वानप्रस्थ साधक आश्रम रोजड़
वानप्रस्थ साधक आश्रम रोजड़
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आर्यवीर दिनचर्या (aryaveer dincharya)
Rs.10.00Sold By : The Rishi Mission Trustइस लघु पुस्तिका में आर्यवीर की दिनचर्या कैसी हो, इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए संकलन किया गया है, इस पुस्तक में शारीरिक पाठ्यक्रम के अलावा आर्यवीर दल के दिनचर्या में प्रयुक्त सभी मन्त्र तथा आर्यवीर दल के राष्ट्रगान ध्वजगान,आर्य समाज के नियम, संगठन सूक्त जैसी उपयुक्त सामग्री का संकलन किया गया है शिविर में भावार्थ सहित संध्या करायी जाने पर आर्य वीरों की मांग को देखकर इस संस्करण में उक्त भावार्थ जोड़ा गया है ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना का स्व डॉ धर्मवीर जी दवारा लिखा तथा संगठन सूक्त का डॉ त्रिलोकियनाथ क्षत्रिय जी दवारा लिखित पद्द्यानुवाद इस पुस्तक की अन्य विशिष्टता है , अत: यह पुस्तक अपने बच्चों को अवश्य ही पढ़ायें
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The essence of the vedas and vaidic dharma
Rs.260.00Sold By : The Rishi Mission Trustवानप्रस्थ साधक आश्रम, रोजड़ का नया प्रकाशन
The Essence of the Vedas and Vedic Dharma
लेखक- डॉ सुधीर आनन्द, अमेरिका
आकार- २१x२६, पृष्ठ- ३४२,
मूल्य- २५०₹,
हिंदी न पढ़ने वाली व अँग्रेजी भाषा में अनुकूलता वाली नई पीढ़ी को वेद व वैदिक धर्म का सार व मुख्य बातें बताने की दृष्टि से लिखी गई यह पुस्तक लेखक के वर्षों के अध्ययन चिंतन मनन व अनुभव का सार है।
आशा है परिवार की नई पीढ़ी के लिए यह पुस्तक उपयोगी होगी। आपकी ओर से उनको दिया गया उपहार होगी
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Yogdarshanam
Rs.40.00Sold By : The Rishi Mission Trustसमस्त दुखों से निवृत्ति मुक्ति प्राप्त कर लेने पर ही होती है। मुक्ति अविद्या के संस्कारों के नष्ट होने पर संभव है। अविद्या के संस्कार ईश्वर साक्षात्कार के बिना नष्ट नहीं हो सकते और ईश्वर का साक्षात्कार समाधि के बिना नहीं हो सकता। समाधि चित्तवृत्ति निरोध का नाम है। चित्त वृत्तियों का निरोध यम नियम आदि योग के आठ अंगों का पालन करने से होता है। इन यम नियमों से लेकर समाधि और आगे मुक्ति तथा अन्य समस्त साधकों और साधकों का संपूर्ण विधि विधान योग दर्शन में विद्यमान है। हमारा सौभाग्य है कि आज भी हमें महर्षि पतंजलि जैसे महान ऋषियों का संदेश मोक्ष प्राप्ति करने कराने के लिए उपलब्ध है।
मात्र 160/-
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Yogdarshanam vyas bhasya sahit swami (styapati ji privrajak hindi bhasy sahit)
Rs.160.00Sold By : The Rishi Mission Trustसमस्त दुखों से निवृत्ति मुक्ति प्राप्त कर लेने पर ही होती है। मुक्ति अविद्या के संस्कारों के नष्ट होने पर संभव है। अविद्या के संस्कार ईश्वर साक्षात्कार के बिना नष्ट नहीं हो सकते और ईश्वर का साक्षात्कार समाधि के बिना नहीं हो सकता। समाधि चित्तवृत्ति निरोध का नाम है। चित्त वृत्तियों का निरोध यम नियम आदि योग के आठ अंगों का पालन करने से होता है। इन यम नियमों से लेकर समाधि और आगे मुक्ति तथा अन्य समस्त साधकों और साधकों का संपूर्ण विधि विधान योग दर्शन में विद्यमान है। हमारा सौभाग्य है कि आज भी हमें महर्षि पतंजलि जैसे महान ऋषियों का संदेश मोक्ष प्राप्ति करने कराने के लिए उपलब्ध है।
मात्र 160/-
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Jigyaasa-vimarsh-bhaag-2
Rs.70.00Sold By : The Rishi Mission Trustनोट – यह जिज्ञासा विमर्श भाग 2 आचार्य सोमदेव जी द्वारा किये गये समाधानों का संग्रह है इसकी लागत कीमत 70 है परन्तु आप हमारे यहाँ से मात्र 800 रु. तक के साहित्य खरीदने पर निशुल्क प्राप्त कर सकते है यह पुस्तक आचार्य सोमदेव जी द्वारा आपके पास भेजी जाएगी अत:आप इस पुस्तक क एक …
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Jigyaasa-vimarsh-bhaag-1
Rs.100.00Sold By : The Rishi Mission Trustनोट – यह जिज्ञासा विमर्श आचार्य सोमदेव जी द्वारा किये गये समाधानों का संग्रह है इसकी लागत कीमत 100 है परन्तु आप हमारे यहाँ से मात्र 1000 रु. तक के साहित्य खरीदने पर निशुल्क प्राप्त कर सकते है यह पुस्तक आचार्य सोमदेव जी द्वारा आपके पास भेजी जाएगी अत:आप इस पुस्तक क एक बार अवश्य …
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