Category: वैदिक संस्कृति
Showing all 11 results
-
Vivek vairagya shlok Sangrah Vol 1-2
Rs.40.00Sold By : The Rishi Mission Trustवैदिक धर्म महान् है, वैदिक संस्कृति महान् है, वैदिक सभ्यता महान् है, वैदिक रीति-नीति और इतिहास महान् है । प्राचीन ऋषियों, मनीषियों, कवियों ने इन वैदिक सिद्धान्तों को संस्कृत भाषा के श्लोकों में बहुत ही आकर्षक, सरस तथा यथार्थ रूप में प्रस्तुत किया है । इन श्लोकों की एक – एक पंक्ति से निकलने वाला संदेश मनुष्य के कानों को बींधकर, मन को भेदकर हृदय पर बने हुए जन्म-जन्मान्तर के अज्ञान के संस्कारों को उखाड़कर जीवन में नई प्रेरणा, नये उत्साह तथा नई उमंग को उत्पन्न करता है । पतित, घृणित, निराश, निम्नस्तर का जीवन भी परिवर्तित होकर महान्, आदर्श, श्रद्धेय तथा अनुकरणीय बन जाता है ।
संस्कृत भाषा सर्वाधिक प्राचीन व वैज्ञानिक भाषा है और सभी भाषाओं की जननी है। इतना ही नहीं यह अति सरल तथा सुव्यवस्थित है । सामान्य मनुष्य इसको थोड़े ही समय में लिखना, पढ़ना, बोलना सीख लेता है । उससे भी बढ़कर विशेषता यह है कि प्राचीन सत्य सनातन वैदिक धर्म के मूल ग्रन्थ वेद, दर्शन, ‘उपनिषद्, गीता, रामायण, महाभारत, पुराण, स्मृतियाँ आदि संस्कृत भाषा में ही लिखे हुवे हैं । इन ग्रन्थों में लिखे मन्त्रों, श्लोकों, सूत्रों के भाव अत्यधिक महान् है । इनके अर्थों को जानकर मन में आनन्द, उत्साह, उमंग, आशा उत्पन्न होती है तथा हताश – निराश, अकर्मण्य निम्नस्तर का मनुष्य तत्काल नई प्रेरणा, ऊर्जा प्राप्त करके जीवन को महान् ऊँचाईयों तक ले जा सकता है ।
आश्रम में चलने वाले आर्ष गुरुकुल के आचार्य स्वामी मुक्तानन्द जी ने इस पुस्तिका के सम्पादन में पुरुषार्थ किया, सुझाव दिया तथा संशोधन किया है। मैं उनके प्रति कृतज्ञ । ऋषि-मुनियों की ये कृतियाँ जीवन में हमें कर्तव्य- अकर्तव्य का सरस- सुन्दर – स्पष्ट बोध कराती हैं । – आओ ! हम भी पवित्र आत्माओं की प्रेरक वाणी को पढ़कर
अपने जीवन को महान् तथा आदर्श बनावें ।
प्रकाशकीय
आचार्य ज्ञानेश्वरजी आर्य ने ‘विवेक वैराग्य श्लोक संग्रह’ के दो भागों का प्रकाशन कराया था । बहुत समय से दोनों का सम्मिलित एक रूप प्रकाशन करने का निवेदन आ रहा था । इस भावना को ध्यान में रख कर यह प्रकाशन किया जा रहा है । इसे शुद्ध रूप में प्रकाशित करने में ब्रह्मचारी शिवनाथ आर्य ने बहुत पुरुषार्थ किया । स्वामी मुक्तानन्द जी का मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ। मैं दोनों का धन्यवाद व आभार व्यक्त करता हूँ । दोनों के प्रति शुभकामनाएँ । आशा हैं यह प्रकाशन उपयोगी सिद्ध होगा ।
Add to cart