अथर्ववेदीय कुन्तप सूक्त Atharvvediy Kuntaap Sukt
₹10.00
अथर्ववेद के कुन्ताप – सूक्तों ( २० / १२७-१३६ ) की व्याख्याएँ अथर्ववेद के अनेक भाष्यकारों ने नहीं लिखी हैं । जिन्होंने लिखी हैं, वे प्रायः संक्षिप्त, अस्पष्ट एवं असम्बद्ध प्रतीत होती हैं। इन सूक्तों की प्रक्षिप्तता की मान्यता भी इसमें कारण बनी हुई है । ऐसी स्थिति में मान्य स्वामी जगदीश्वरानन्द जी एवं डॉ. वेदपाल जी (मेरठ) की प्रेरणा से इन कुन्ताप ( पाप तापनाशक) सूक्तों का यह संक्षिप्त विवेचन प्रस्तुत किया जा रहा है। यदि पाठकों को यह विवेचन पसन्द होगा, तो इन सूक्तों की विधिवत् व्याख्या लिखने का प्रयत्न किया जाएगा । आशा है, सुधीजन अपनी प्रतिक्रिया / सम्मति देंगे ।
निवेदक
आनन्दप्रकाश
(In Stock)
Reviews
There are no reviews yet.