तनाव से मुक्ति tanaav se mukti
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मनुष्य ईश्वर की सुन्दरतम कृति है। इस मानव ने जहाँ एक ओर अनेकों वैज्ञानिक व तकनीकी खोजें कर ली हैं, भौतिक उन्नति के उच्च स्तर पर पदार्पण कर लिया है, अनेकों सुख-सुविधाएं को प्रदान करने वाली सामग्री को जुटा लिया है, वहीं दूसरी ओर वह दुःख व अशान्ति के गर्त में डूबता चला जा रहा है। ज्यों-ज्यों वह सुखी होना चाहता है त्यों-त्यों वह दुःखी होता चला जाता है, क्योंकि धन, रोटी तो दे सकता है, पर भूख नहीं, धन बिस्तर तो दे सकता है पर नींद नहीं, धन सुख तो दे सकता है पर आनन्द नहीं । आज के युग का सबसे बड़ा प्रश्न है मनुष्य को सच्ची सुख व शान्ति कैसे प्राप्त हो ? अनेक धार्मिक ग्रन्थों में मानव को अपना जीवन यापन करने तथा सुख-शान्ति तथा आनन्द को प्राप्त करने के लिए उन मार्गों का दिग्दर्शन किया है, जिस पर चलकर मनुष्य अपना जीवन सही ढंग से चलाकर इस दुःख सागर से पार होकर मोक्षरूपी अनन्त आनन्द के महासागर में गोते लगा सकता है। किन्तु दुःख की बात तो यह है कि हमने ऋषिकृत ग्रन्थों में बताए हुए रास्तों पर चलने का प्रयत्न ही नहीं किया । यदि हम अपने जीवन को उन आर्ष ग्रन्थों के अनुकूल ढ़ालने का प्रयत्न करेंगे, तो हम अपने तनावमय जीवन को आनन्दमय बना सकते हैं ।
– प्रस्तुत पुस्तक में मैंने योगानुकूल जीवन-यापन करने के कुछ तौरतरीकों का उल्लेख किया है, जिस पर चलकर मनुष्य तनाव से दूर रह सकता है, सुख-शान्ति को प्राप्त कर सकता है, और अन्ततः मोक्षरूपी आनन्द का आनन्द भी ले सकता है ।
वैदिक, जैन, बौद्ध आदि विभिन्न धर्मों व सम्प्रदायों की जीवन एवं ध्यान पद्धति पर चिन्तन व मनन किया तथापि मेरी इच्छा यही रही कि यह पुस्तक किसी मत विशेष की धरोहर न होकर सभी मनुष्यों के पढ़ने योग्य बन सके और वे इसे पढ़कर व आचरण कर अपने को तनावमुक्त बना सकें ।
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