महर्षि दयानंद सरस्वती की प्रामाणिक जन्मतिथि maharshi dayanand sarasvatee ki pramanik janmatithi
Rs.80.00
2 in stock
CompareWeight | 250 g |
---|
Related products
-
धर्म का आदिस्रोत dharm ka aadisrot
Rs.100.00Rs.80.00Sold By : The Rishi Mission Trustधर्म का मूल ईश्वर है
– धर्म का उत्पत्ति- स्थान क्या है ? किसी मत विशेष का नहीं प्रत्युत उस धर्म का मूल क्या है जिसके अवान्तर रूप से विविध प्रकार के मत विद्यमान हैं। साधारणतया इस प्रश्न के दो उत्तर हैं – (१) यह कि धर्म का मूल ईश्वर है और (२) यह कि उसकी उत्पत्ति मनुष्य से है। प्रथम विचार इस बात की उपेक्षा नहीं करता कि वर्त्तमान धर्मों के विकास और वृद्धि पर मनुष्यों का, उनके जातीय इतिहास और देश की भौगोलिक अवस्था तक का बड़ा प्रभाव पड़ा है। केवल इस बात पर बल दिया है कि धर्म का आदि मूल कारण ईश्वर है ।
यह पुस्तक इस महत्त्वपूर्ण प्रश्न पर पूर्णरूपेण मीमांसा करने की प्रतिज्ञा नहीं करती । इसका उद्देश्य संसार के मुख्य-मुख्य मतों के मिलान और अनुशीलन से केवल यह सिद्ध करना है कि नवीन मतों का पता पुराने मतों से और इन पुराने मतों का पता और अधिक प्राचीन मतों से चल सकता है। इस प्रकार उत्तरोत्तर पता लगाते हुए हम मनुष्य जाति के प्राचीनतम पवित्र धर्म तक पहुंच जाते हैं। मतों के परस्पर मिलान पूर्वक अनुशीलन से यह सिद्ध हो जायेगा कि वास्तव में धर्म की सीमा के अन्तर्गत किसी प्रकार का नया आविष्कार कभी नहीं हुआ। धर्म के मुख्य सिद्धान्त जिन्हें उसका सार कहना चाहिये उतने ही पुराने हैं जितनी कि मानव जाति । इससे सिद्ध होता है कि सृष्टि के आरम्भ काल में परमेश्वर ने धार्मिक ज्ञान का बीज मनुष्य के लिए दिया था। और यही धर्म-ज्ञान का बीज मानव जाति के ग्रन्थ भण्डार के सर्वसम्मत प्राचीनतम वेद में पाया जाता है ।
Add to cart
Reviews
There are no reviews yet.