नमस्ते जी !!! प्रत्येक ग्राहक के लिये 500/-से अधिक की खरीद करने पर अब इंडिया पोस्ट से पूर्णत: शिपिंग फ्री,ऋषि मिशन ट्रस्ट के पंजिकृत सदस्यता अभियान में शामिल हो कर ट्रस्ट द्वारा चलाई जा रही अनेक गतिविधियों का लाभ उठा सकते हैं। जिसमें 11 पुस्तक सेट (महर्षि दयानंद सरस्वती कृत), सदस्यता कार्ड, महर्षि का चित्र, 10% एक्स्ट्रा डिस्काउंट, अन्य अनेक लाभ/ विशेष सूचना अब आपको कोरियर से भी पुस्तकें भेजी जाती है,जो मात्र 1,7 दिन में पुरे भारत में डिलेवरी हो जाती है, इस सुविधा का खर्च आपको अतिरिक्त देना होता है

Rishi Mission is a Non Profitable Organization In India

Cart

Your Cart is Empty

Back To Shop

यजुर्वेद भाष्य विवरणम yajurved bhashya vivaranam

Rs.50.00

ऋषि दयानन्द के वेदभाष्य को उस समय के विद्वानों ने उल्टा कहा था जिसका उत्तर स्वामीजी ने दिया था उल्टा तो है परन्तु उल्टे का उल्टा है। इस रहस्य को विद्वान् लोग ही नहीं समझ पाए फिर सामान्य जन से इसके समझने की आशा करना व्यर्थ है । इसी कारण विद्वान् हों या सामान्य लोग सबके मन में ऋषि भाष्य को पढ़ते हुए उपस्थित भिन्नता तथा मध्यकालीन परम्परा का परित्याग देखकर अनेक शंकायें उत्पन्न होती रही हैं । ऋषि तो आज रहे नहीं अतः उन शंकाओं के निराकरण का दायित्व ऋषि के अनुयायी विद्वानों का है । इस उत्तरदायित्व को पूरा करने का प्रयत्न पदवाक्यप्रमाणज्ञ पं. ब्रह्मदत्तजी जिज्ञासु ने किया था, उनका यह कार्य प्रकाश में आया उस समय विद्वानों ने इस पर पर्याप्त चर्चा की और शीघ्र इस कार्य को पूर्ण करने के आग्रह भी होते रहे हैं परन्तु दुर्देव को प्रबलता से जिज्ञासुजी के जीवन में १५ अध्याय के पश्चात् यह कार्य प्राग नहीं बढ़ पाया |

ऋषि भक्त ज्ञानचन्दजी ने इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए अनेकशः प्रेरणा दी, सहयोग का आश्वासन दिया। इस क्रम में वजोरचन्द धर्मार्थ ट्रस्ट के माध्यम से श्री पं. ज्ञानचन्दजी के इस ग्रह को परोपकारिणी सभा ने स्वीकार किया और सभा प्रधान श्रद्धेय स्वामी सर्वानन्दजी महाराज तथा कार्यकर्ता प्रधान स्वामी श्रोमानन्दजी महाराज के मार्गदर्शन में सभा ने इस कार्य को सम्पन्न कराने का प्रस्ताव पारित कर दिया ।

प्रस्ताव पारित कर देने मात्र से कार्य सम्भव नहीं होता । आवश्यकता थी योग्य विद्वान् की जो वेद-वेदांगों में गति रखता हो, ऋषि में जिसकी निष्ठा हो तथा आर्ष शैली से जिसने शास्त्रों का अध्ययन किया हो । इसके लिए स्वामी ग्रोमानन्दजी महाराज का ध्यान अपने योग्य शिष्य डा. वेदपाल सुनीथ की ओर गया और पं. वेदपालजी ने प्राचार्यश्री के आदेश को शिरोधार्य करते हुए इस गुरुतर उत्तरदायित्व को वहन करना स्वीकार किया ।

पं. जी के परिश्रम व शैली का एक नमूना आज पाठकों की सेवा में प्रस्तुत करते हुए प्रसन्नता है। विद्वज्जन इसका अवलोकन करें। सम्मति मार्गदर्शन देकर हमें अनुगृहीत करें। आपका सहयोग इस कार्य को यथोचित दिशा की ओर बढ़ाने में सहायक होगा। आप ही इस कार्य की कसौटी हैं । निश्चय प अपने विचार से अवगत करायेंगे ऐसा विश्वास है ।

अन्त में श्री पं. ज्ञानचन्दजी व वजीरचन्द धर्मार्थ ट्रस्ट का धन्यवाद करता हूँ जिनका पवित्र सहयोग इस कार्य का आधार है ।

मान्य पं. वेदपालजी का सभा की ओर से धन्यवाद है जो प्रत्यन्त परिश्रम र योग्यतापूर्वक इस कार्य को सम्पन्न करने में लगे हैं। प्रभु उन्हें सफलता प्रदान क

2 in stock

Compare
Weight 100 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “यजुर्वेद भाष्य विवरणम yajurved bhashya vivaranam”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Cart

Your Cart is Empty

Back To Shop