Weight | 250 g |
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सत्यार्थ प्रकाश (२ भाग ) संकलन मोहन चन्द जी आर्य Satyarth Prakash (Part 2) Anthology Mohan Chand Ji Arya
Rs.1,500.00Rs.1,100.00Sold By : The Rishi Mission Trustसत्यार्थ प्रकाश का यह विशिष्ट संस्करण है तथा अब तक प्रकाशित संस्करणों में शुद्धतम संस्करण है, सत्यार्थ- प्रकाश की मूल हस्तलिखित प्रति, उसकी प्रेस कापी व द्वितीय संस्करण से इसके पाठों का को अक्षरश: मिलान किया गया है। इसके अतिरिक्त महर्षि दयानन्द द्वारा सत्यार्थ में दिये गये उद्धरणों का मिलान भी महर्षि द्वारा उपयोग लिये गये ग्रन्थ यथा मनुस्मृति, बाइबिल, कुरान, प्रकरण रत्नाकर आदि ग्रन्थों से किया गया है, दोनों भागों की कुल पृष्ठ संख्या 2276 है। इसकी विषय सूची 46 पृष्ठों की है आर्य समाज के दिग्गज विद्वानों यथा – सर्वश्री भगवदत्त, स्वामी वेदानन्द, पं.युधिष्ठिर मीमांसक, एवं जगदेव सिद्धान्ती व संपादक की लगभग 7045 टिप्पणियां हैं, द्वितीय संस्करण में छूटे पाठ लगभग 402 पाठों को सम्मिलित किया गया है द्वितीय स. से लगभग 1080 पाठों का ग्रहण किया गया है। इस प्रकार यह सत्यार्थ प्रकाश का श्रेष्ठतम संस्करण है इसका उपयोग करिये और लाम उठाइए
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Satyarth Prakash Hardcover
Rs.120.00Rs.100.00Sold By : The Rishi Mission Trustयह प्रश्न बहुत साधारण है और इसका उत्तर उतना ही जटिल है कारण हम न तो सदैव दुःखी रहते हैं न सुखी रहते हैं। कई बार हम चिंतित होते हैं तो कई बार कुछ प्रसंगों को लेकर हमारे मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि दुनिया में हम क्यों आये? हम आये तो जीवन को किस तरह जियें ? हम दुःखी क्यों होते हैं? क्या है चिंता? क्या है धर्म? क्या है पूजा उपासना के अर्थ ? |आखिर वो भगवान कैसा है जिसकी सब पूजा करते हैं? यही नहीं कई बार हम जब ज्यादा परेशान होते हैं तो ज्योतिष और बाबाओं के चक्कर में भी आ जाते हैं इन सब सवालों के जवाब यहां नहीं दिये जा सकते, लेकिन “सत्यार्थ प्रकाश का हर एक समुल्लास (अध्याय) आपके ज्ञान और शंकाओं का निवारण एक गुरु की तरह करता है जो सिर्फ सच्ची शिक्षा देता है । माना कि आज का जीवन आधुनिक है, हम भौतिक युग में जी रहे हैं, हमारे हाथों में कम्प्यूटर है, महंगे फोन हैं, हम आधुनिकता की बातें करते हैं लेकिन जब हम किसी आर्थिक, सामाजिक या पारिवारिक परेशानी में आते हैं तब हम हजारों साल पुराने अन्धविश्वास में जाने अनजाने में फंस जाते हैं। सर्वविदित है कि 140 सालों में लाखों लोगों का जीवन परिवर्तित करने वाला, सत्य और असत्य की विवेचना करने वाले महानतम ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश के रचनाकार महर्षि दयानन्द सरस्वती मूल रूप से गुजराती थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने “सत्यार्थ प्रकाश की रचना हिन्दी भाषा में की। क्योंकि महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने इस ग्रन्थ की रचना किसी एक धर्म के लाभ-हानि के लिए नहीं की अपितु मानव मात्र के कल्याण और ज्ञान वर्धन के लिए की ताकि हम निष्पक्ष होकर सत्य और असत्य का अन्तर जान सकें और असत्य मार्ग को छोड़कर सत्य मार्ग की ओर बढ़ सकें क्योंकि उनका मानना था कि दुःख का कारण असत्य और अज्ञान है
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