51 अनमोल कहानियां Anmol kahaniyan
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प्रेमचन्द युग-प्रवर्तक लेखक थे। सन् 1901 से 1936 तक का समय हिन्दी-उर्दू कथा – साहित्य का युग कहलाता है और कहलाता रहेगा। उस समय राजनीति में और समाज-सुधार के आन्दोलन में मनुष्य से विचारशील और कर्मशील बनने और रूढ़िगत परम्पराओं और अन्धविश्वासों को त्यागकर आगे बढ़ने की माँग की जा रही थी। प्रेमचन्द ने इस माँग को पूरा किया। हमें प्रेमचन्द में शहरी, कस्बाई और ठेठ देहाती जीवन के सजीव चित्र मिलते हैं। इस सबसे प्रेमचन्द की शैली के विभिन्न रूप-रंगों और भाषा-ज्ञान पर प्रकाश पड़ता है और इस महान् लेखक के सामर्थ्य पर आश्चर्य भी होता है। इस संकलन में उनकी पूस की रात, पंच परमेश्वर, मंत्र, कफन, शतरंज के खिलाड़ी, सद्गति, ठाकुर का कुआँ सरीखी कालजयी 51 अनमोल कहानियाँ संग्रहित हैं।
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