Arya Samaj aur Shuddh Aandolan आर्य समाज और शुद्धि आंदोलन
Rs.450.00
शुद्धिकरण के जन्मदाताः महर्षि दयानंद सरस्वती ‘यदि कोई ब्राह्मण वा वैश्य या कोई अन्य जात-पात का व्यक्ति हिन्दुओं के धर्म में से हानि और लाभ को समझे बिना अथवा किसी मनुष्य के कहने-सुनने से मुसलमान या ईसाई हो जावे और उनके विवाह या मृत्यु आदि रीति-रिवाज में अथवा खानपान में कुछ दिन तक सम्मिलित रहा हो और इसके पश्चात् यदि वह व्यक्ति अपने अपराधों की क्षमा का प्रार्थी हो तो उसको अपनी जात (बिरादरी) में सम्मिलित कर लेना चाहिये या नहीं ? नि:संदेह, यदि वह अपने अपराधों की क्षमा का प्रार्थी हो तो समाज को चाहिये कि उसको अपनी बिरादरी (जात) में सम्मिलित कर लें ।’ (महर्षि दयानन्द पत्र एवं विज्ञापन, भाग 2, पृ. 998)
(In Stock)
Reviews
There are no reviews yet.