Ayurved Ke Gyata Maharshi Dayanand आयुर्वेद के ज्ञाता महर्षि दयानंद
Rs.108.00
आयुर्वेद के ज्ञाता, चिन्तक महर्षि दयानन्द का मानना था कि मनुष्य का शारीरिक व भौतिक विकास उसके बौद्धिक एवं आत्मिक विकास का आधार है। शारीरिक अस्वस्थता उन्नति में बाधक है और ऐसे व्यक्ति का जीवन व्यर्थ । इसलिए व्यक्ति को जीवन में अपने स्वास्थ्य के प्रति निरन्तर सतर्क रहना चाहिए।
जीवन में आयुर्वेद की महत्ता पर केन्द्रित, पाँच अध्यायों में विभक्त इस पुस्तक में सन्तानोत्पत्ति और पालन, स्वास्थ्य रक्षा के उपाय, रोगों के अ.क्रमण के कारण एवं उपचार विधियों पर महर्षि दयानन्द के सिद्धान्तों एवं विचारों की विस्तार से व्याख्या प्रस्तुत की गई है और महर्षि की निजी दिनचर्या के बहाने यह सिद्ध करने की कोशिश की गई है कि यदि व्यक्ति जीवन में संयम, नियम, अनुशासन का आहार-विहार में अनुपालन करे तो आजीवन बिना औषधि के ही वह स्वस्थ, दीर्घायु जीवन जी सकता है।
पुस्तक में महर्षि द्वारा विभिन्न रोगों से मुक्ति के लिए अपनाये गए नुस्खों के सहारे सिद्धान्तों के व्यावहारिक पक्ष को मजबूत आधार प्रदान किया गया है और रोगों के उपचार में औषधि के साथ-साथ परहेज आदि साधनों की महत्ता भी प्रतिपादित की गई है। इस तरह यह पुस्तक महर्षि के आयुर्वेद सम्बन्धि सिद्धान्तों को व्यावहारिक तथ्यों के साथ हमारे समक्ष प्रस्तुत करती है। इससे आयुर्वेद को समग्रता में समझने की दृष्टि मिलती है ।
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