Divy Shabd Vigyan
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प्रात: वन्दनीय श्री योगेश्वरानन्द परमहंस ने इस ‘दिव्य शब्द विज्ञान’ को बड़ी बुद्धिमत्ता और सूक्ष्मदर्शिता से लोकोपकारार्थ लिख कर प्रदान किया है। इस ग्रन्थ में शब्द और मन्त्र द्वारा आत्मा परमात्मा के साक्षात्कार के अनेक साधन साधकों के लिए बताये गए हैं।
इस ग्रन्थ में 108 प्रकार के दिव्य शब्दों और मन्त्रों द्वारा पदार्थों में आत्मा, परमात्मा, कार्य कारणात्मक प्रकृति के साक्षात्कार का वर्णन है। प्रकृति की परिणत होती हुई प्रत्येक अवस्था में ब्रह्म का व्याप्य – व्यापक भाव सम्बन्ध दिखाकर इसको प्रत्यक्ष करने की बातें बतायी गयी हैं ।
जिस प्रकार ‘प्राण-विज्ञान’ और ‘दिव्य ज्योति विज्ञान’ में प्राण और ज्योतियों द्वारा पदार्थों में आत्मा और परमात्मा के साक्षात्कार के साधन बताये गये हैं, इसी प्रकार इस ‘दिव्य शब्द विज्ञान’ ग्रन्थ में आत्मा, परमात्मा और प्रकृति के साक्षात्कार के बहुत से साधन लिखे गये हैं। पाठकवृन्द बहुत शीघ्र इस विज्ञान को समझने में समर्थ होंगे।
इस ग्रन्थ को पूज्यपाद श्री योगेश्वरानन्द परमहंस जी ने योग निकेतन पहलगाम (काश्मीर) में 3 मास के योग साधना शिविर के अवसर पर लिखा है। यह आश्रम बहुत एकान्त शान्त स्थान है। आस-पास में चीड़, कैपल, देवदार के वृक्ष और बड़े-बड़े विशाल पर्वत हैं जो प्रायः हिमाच्छादित और हरे भरे बने रहते हैं। थोड़ी दूर पर नीचे लिदर नाम की नदी बह रही है। इसका जल पत्थरों से टकराकर कल-कल शब्द करते हुए चलता है। इसकी ध्वनि में बाहर के अन्य शब्द सुनायी नहीं देते। ध्यानाभ्यास के लिए बहुत पवित्र स्थान है। श्री योगश्वरानन्द परमहंस ने ‘निर्गुण ब्रह्म’, ‘प्राण विज्ञान’ और ‘दिव्य ज्योति विज्ञान’ ग्रन्थ’ यहां ही लिखे थे और अब ‘दिव्य शब्द विज्ञान’ ग्रन्थ भी यहां ही लिखा गया है।
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