Ishwar ka Swaroop ईश्वर का स्वरूप
Rs.108.00
सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर ने मानव कल्याण के लिए वेदों का ज्ञान प्रदान किया था। उसके आधार पर एक ईश्वर और एक धर्म का ही प्रचलन रहा। महाभारत काल तक एक ही धर्म वैदिक धर्म का प्रचलन रहा, परन्तु उसके पश्चात् विदेशी आक्रमणों एवं अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण वेद का वास्तविक ज्ञान लुप्त हो गया और अनेक सम्प्रदाय और मत-मतान्तर प्रचलित हो गये। इन सभी सम्प्रदायों में पूजा, प्रार्थना, उपासना आदि के लिए अलग-अलग देवताओं को भगवान् तथा इष्ट के रूप में स्वीकार किया गया। इन विभिन्नताओं के कारण ईश्वर की वास्तविक स्तुति, प्रार्थना और उपासना लुप्त होती गई और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए कुछ लोग स्वयं को भगवान् घोषित करने लगे और समाज में एक अव्यवस्था फैलती चली गई। ऐसी परिस्थिति में ईश्वर के सच्चे स्वरूप को समाज के सामने रखा जाये, इस बात को सम्मुख रखते हुए विद्वान् लेखक ने इस ओर एक प्रयास किया है।
इससे पूर्व लेखक की आठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। (१) सत्यार्थप्रकाश प्रश्नोत्तरी (२) संजीवनी भाग १ (एक प्रयास भक्ति की ओर) (३) संजीवनी भाग २ (एक प्रयास नैतिकता की ओर) (४) विदुरनीति प्रश्नोत्तरी (५) भगवद् गीता भाष्य तथा प्रश्नोत्तरी (६) मृत्यु का स्वरूप (७) मैं कौन (८) ईश्वर पर अविश्वास क्यों? इस प्रकाशन का यह नौवां पुष्प आप की सेवा में है ।
प्रस्तुत पुस्तक में ईश्वर के वास्तविक स्वरूप, ईश्वर स्तुति, प्रार्थना, उपासना, मोक्ष का स्वरूप, ईश्वर का अस्तित्व तथा भारतीय एवं पाश्चात्य वैज्ञानिकों की दृष्टि में ईश्वर पर बहुत सुन्दर एवं सारगर्भित व्याख्या की है । विद्वान् लेखक ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि यह पुस्तक दुरूह न हो, उसको सरल से सरलतम बनाने का प्रयास किया है, परन्तु सिद्धान्तों के विरुद्ध कहीं भी समझौता नहीं किया गया है।
पुस्तक पूर्णत: नि:स्वार्थ भाव से अधिकाधिक प्रचार-प्रसार की दृष्टि से लिखी गई है आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप तक पहुँची यह पुस्तक आपको यथेष्ट लाभान्वित करेगी तथा हमारे प्रकाशन के इस प्रयास को सुधी पाठक उदारता से अपनाकर कृतार्थ करेंगे ।
(In Stock)
Reviews
There are no reviews yet.