Ishwar per avishwas kyon ? ईश्वर पर अविश्वास क्यों ?
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जिसके अन्तर्गत यह सारा ब्रह्माण्ड है, जिनके चलाने से ये हवाएँ चलती हैं, जिसके बहाव से ये नदियाँ बहती है, जिसके कारण ये फूल खिलते हैं, जिसके कारण सारे संसार में परिवर्तन होते हैं । ये बड़े-बड़े विशाल सागर, हवाएँ इन सबका नियन्त्रण उसी महाशक्ति के पास है जिसे हम ईश्वर, परमेश्वर, परमात्मा, भगवान् आदि शब्दों से पुकारते हैं। इतने सारे नक्षत्र हैं, उन सबका नियन्ता परमपिता परमात्मा है।
कितनी भी कल्पना हम करें परन्तु भगवान् की व्यवस्था में हम कोई कमी नहीं निकाल सकते और यदि कमी निकालेंगे तो हमारी अज्ञानता ही होगी। संसार के रचयिता ने कितनी सुन्दर व्यवस्था इस संसार की रची है, परन्तु कभी-कभी मानव अपनी मूर्खता से ईश्वर की व्यवस्था पर भी सन्देह प्रकट कर देता है।
इसी विचार को सम्मुख रखते हुए विद्वान् लेखक ने इस पुस्तक की रचना प्रश्नोत्तर विधि में की है। यूँ तो प्रश्नोत्तर विधि से लेखक की (१) सत्यार्थप्रकाश प्रश्नोत्तरी (२) विदुर नीति प्रश्नोत्तरी (३) भगवद्गीता भाष्य एवं प्रश्नोत्तर आप के सम्मुख आ चुकी हैं, परन्तु इस पुस्तक में लेखक श्री कन्हैयालाल आर्य जी ने ईश्वर के स्वरूप को ‘सास बहू की कहानी, के माध्यम से रुचिकर बनाने का प्रयास किया है।
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