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Ishwar Prapti ke upay

150.00

आन्तरिक शान्ति, प्रसन्नता, ठहराव का मूल कारण अध्यात्म है। आध्यात्मिक व्यक्ति ही अधिक शान्त, प्रसन्न और स्थिर मिलेगा। अध्यात्म से रहित मनुष्य चंचल रहता है, चंचलता चित्त को शान्त नहीं होने देती, चंचलता के कारण ही व्यक्ति संसार के विषयों की ओर आकर्षित होता रहता है, जिससे मन ध्यान आदि में स्थिर नहीं होता। वेद, शास्त्र, ऋषियों के उपदेश का मुख्य प्रयोजन अध्यात्म से जोड़ना ही है। महर्षि दयानन्द जी सुख का मूल कहते हैं- “जो नर इस संसार में अत्यन्त प्रेम, धर्मात्मा, विद्या, सत्संग, सुविचारता, निवैर्रता, जितेन्द्रियता, प्रत्यक्षादि प्रमाणों से परमात्मा का स्वीकार ( आश्रय) करता है वही जन अतीव भाग्यशाली है, क्योंकि वह मनुष्य यथार्थ सत्यविद्या से सम्पूर्ण दुःखों से छूट के परमानन्द परमात्मा की प्राप्ति रूप जो मोक्ष है, उसको प्राप्त होता है और दुःखसागर से छूट जाता है, परन्तु जो विषय लम्पट, विचार रहित, विद्या, धर्म, जितेन्द्रियता, सत्संगरहित, छल, कपट, अभिमान, दूराग्रहादि दुष्टतायुक्त है, सो वह मोक्ष सुख को प्राप्त नहीं होता, क्योंकि वह ईश्वरभक्ति से विमुख है ।” महर्षि दयानन्द के इन कथनों से स्पष्ट है कि सुख, शान्ति, स्थिरता का मूल आधार ईश्वर भक्ति है, अध्यात्म है। आर्यसमाज में अध्यात्म की उच्चपदवी को प्राप्त करने वाले पूज्य स्वामी सत्यपति जी हैं। परम ईश्वर भक्त वैराग्य और समाधि प्राप्त योगी हैं । स्वामी जी की हार्दिक इच्छा रही है कि सभी मनुष्य समाधि को प्राप्त करें। वैराग्य को प्राप्त करें। इस कार्य के लिए स्वामी जी देश-विदेश में सैकड़ों शिविर लगाए । शिविर लगाने का मुख्य उद्देश्य केवल एक ही कि लोग वैराग्य को प्राप्त कर समाधि की उच्च स्थिति को प्राप्त करें, ईश्वर को प्राप्त करें, मुक्ति को प्राप्त करें।

(In Stock)

Sold By : The Rishi Mission Trust Category:
Weight 300 g
Dimensions 22 × 14 × 2 cm

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