Maharishi Dayanand Saraswati
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झंडे दुनिया में उनके गड़े हैं ।
सीस जिनके धर्म पर चढ़े हैं । । संसार के बड़े-बड़े राजे-महाराजे, बड़े-बड़े सेठ- साहूकार, और बड़े-बड़े बलीयोधा हो गये पर, आज उनका कोई नाम तक नहीं जानता । किन्तु जिन लोगों ने अपने जीवनों को परोपकार में लगाया, जिन्होंने आप कष्ट उठाकर दूसरों को सुख दिया, जिन्होंने देश और धर्म के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया, उनका नाम अमर है। संसार अब तक उनका गुणगान करता है । वास्तव में ऐसे ही नर-नारियों का जीवन धन्य है ।
परोपकारी महात्माओं के जीवन चरित पढ़ने से हमें बड़ा लाभ होता है। हमें पता लगता है कि जीवन को कैसे उच्च और पवित्र बनाया जा सकता है। किस प्रकार के काम करने से हम संसार के दुःखों को दूर करके उसको सुख-धाम बना सकते हैं। महात्मा जन अँधेरे में दीपक के समान होते हैं । जिस प्रकार दीपक की सहायता से मनुष्य ठोकर नहीं खाता और गड्ढे में गिरने से बचता है, उसी प्रकार इन महापुरुषों के चरण-चिह्नों पर चलने से मनुष्य संसार में दुःख नहीं पाता, वह पाप के कीचड़ में गिरने से बच जाता है। संसारी लोग जब-जब धर्म को भूलकर अधर्म करने लगते हैं, जब-जब संसार में पुण्य का नाश और पाप की वृद्धि होती है, तब-तब जगदीश्वर की कृपा से जगत् को सत्य धर्म का मार्ग दिखाने के लिए ऐसे महापुरुषों का जन्म होता है। इनके आने से संसार में अविद्या का अंधकार दूर होकर पुण्य का प्रकाश फैलता है और दुखी दुनिया सुख पाने लगती है। लोग इनको अवतार, पैगम्बर और ऋषि आदि आदर-सूचक नामों से पुकारने लगते हैं। ऐसे ही एक चमत्कारी महापुरुष के अलौकिक जीवन की कुछ घटनाओं का वर्णन इस पुस्तक के में किया गया है ।
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