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Mrityormaamritm Gamay मृत्योर्मामृतं गमय

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Sold By : The Rishi Mission Trust Category:

जन्म और मरण संसार की शाश्वत घटनाएँ हैं। यह कटु सत्य तथा ईश्वरीय नियम है कि जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। शरीर से आत्मा (जीव) का निकल जाना मृत्यु है। जन्म से मरण तक का काल जीवन है, जिससे हम सब परिचित हैं। परन्तु मृत्यु मानव के लिए एक चुनौती रही है। एक विचारणीय विषय या एक प्रश्न – ‘मृत्यु के पश्यात् क्या’? यह प्रश्न मानव के लिए सदा से एक पहेली बना हुआ है। जिसका उत्तर प्राप्त करने की जिज्ञासा उसे चिरन्तन काल से रही है। राजकुमार सिद्धार्थ (महात्मा बुद्ध), बालक मूलशंकर (महर्षि दयानन्द सरस्वती) के अपरिपक्व मनों को इन्हीं प्रश्नों ने विचलित किया था। कठोपनिषद् में बालक नचिकेता ने आचार्य यम से इन्हीं प्रश्नों का समाधान प्राप्त करना चाहा था । वेद में मृत्युसूक्त, कालसूक्त, प्राणसूक्त, ब्रह्मचर्यसूक्त, दीर्घायुसूक्त आदि सूक्तों में इस प्रकार के प्रश्नों को उठाया गया है तथा मानव के लिये विहित कर्तव्यों और जीवन दृष्टिकोण का संकेत किया गया है।

वेद में मृत्यु के पश्चात् जीव की दो गतियों का उल्लेख किया गया है- पुनर्जन्म और मोक्ष इन गतियों को जीव मृत्यु उपरान्त अपने कर्मों के अनुसार ईश्वरीय व्यवस्था से प्राप्त करता है । अतएव सर्वप्रथम मृत्यु के तत्त्व को समझना होगा ।

मृत्यु जीवन की अनिवार्यता है

मृत्यु जीवन की अनिवार्यता है। संसार की प्रत्येक उत्पन्न वस्तु चर-अचर, प्राणी-अप्राणी सभी जाने-अनजाने मृत्यु की ओर ही बढ़ रही हैं। जहाँ जन्म है वहाँ मृत्यु है; जहाँ निर्माण है, वहाँ विनाश है; जहाँ उत्पत्ति है, वहाँ प्रलय है । जन्म-मरण संसार की शाश्वत घटनाएँ हैं । मृत्यु प्रतिपल जीवन का पीछा कर रही है, परन्तु मानव मृत्यु की ओर निरन्तर बढ़ता हुआ भी प्रसन्न होता है । एक – एक जन्म दिवस पर कितनी – कितनी खुशियाँ मनाता है। मानव को विचार करना चाहिए कि हमारा जीवन क्या है?

Weight 500 g
Dimensions 22 × 14 × 2 cm

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