Nirgun Brahm
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प्रस्तुत ग्रन्थ “निर्गुण ब्रहा” परमपूज्य ब्रहापि श्री स्वामी योगेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज की ब्रह्मपरक अनुसन्धानात्मक विचार शैली का पूर्णरूपेण परिचायक है। उन्हीं के द्वारा पूर्व रचित ग्रन्थ “ब्रहाविज्ञान” में ब्रहा साक्षात्कार के साधनों का सविस्तार प्रतिपादन किया गया था। इस स्वनामसिद्ध रचना में ब्रह्म के वास्तविक स्वरूप का युक्ति संगत एवं निर्णयात्मक निदर्शन कराया गया है और ब्रह्म के सम्बन्ध में प्रचलित अनेक सिद्धान्तों के यथोचित परीक्षण के पश्चात् प्रमाण सिद्ध मन्तव्यों तथा निष्कर्षों की उपस्थित किया गया है। ग्रन्थ के अनुपम महत्त्व का निर्णय तो विचारशील जिज्ञासु पाठक स्वयं कर सकेंगे। इसमें सन्देह नहीं कि ब्रह्म जैसे गम्भीर जटिल एवं गहनतम विषय पर गुरुदेव की यह अनूठी देन एक बड़े अभाव की पूर्ति करती है।
आशा है कि यह विचित्र दार्शनिक उपहार अपनी गम्भीरता द्वारा ब्रहा विषयक चिन्तन एवं ज्ञान की ओर प्रेरित करते हुए जिज्ञासु साधकों को ज्ञानशील बनाने में सफल होगा।
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