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Rashtr nayak guru govind sinha राष्ट्र नायक गुरु गोविंद सिह

Rs.25.00

यह पुस्तक जब पहली बार प्रकाशित हुई तो गांधी में आस्था रखने वालों को काफी आघात पहुँचा, लेकिन व्यक्ति राष्ट्र से ऊँचा नहीं होता और इतिहास किसी को माफ नहीं करता है।

श्री हंसराज रहबर भारतीय क्रांतिकारी विचारधारा के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण लेखक हैं । इतिहास के गम्भीर अन्वेषक और शोधार्थी श्री रहबर ने अपने वर्तमान को वैज्ञानिकऐतिहासिक दृष्टि से न सिर्फ जाँचा-परखा था, बल्कि जिया भी था । वस्तुतः इतिहास को समझे बिना वर्तमान को समझना सम्भव ही नहीं है। हम देख रहे हैं कि किस तरह सर्वत्र भ्रष्टाचार और जन आकांक्षाओं के साथ सतत अनाचार का क्रम जारी है। समाजवाद और लोकतन्त्र जैसी जीवन-दृष्टियाँ सिर्फ कुर्सी पर टिके रहने का साधन मात्र बना दी गयी हैं। श्री रहबर का मत था कि इस भयंकर नैतिक और सामाजिक अवमूल्यन के लिए गांधी और नेहरु का क्रान्ति विरोधी चरित्र ही जिम्मेदार है। नेहरू ने समाजवादी का मुखौटा लगाकर समाजवाद की कब्र खोदी, और गांधी ने देश की भोली जनता की धार्मिक भावनाओं को भुनाकर नेहरू की ताजपोशी का रास्ता आसान किया था ।

थे। वस्तुतः गांधी और नेहरू दोनों ही व्यक्तियों के स्वार्थ एक-दूसरे के पूरक भारत के वैचारिक क्षितिज पर पहली बार रहबर ऐसे तेजस्वी नक्षत्र के रूप में दिखते हैं. जिसकी रोशनी में हम अपने तमाम राजनीतिज्ञों और क्रांतिकारियों के असली चेहरे देख सकते हैं। ‘गांधी बेनकाब’ श्री हंसराज रहबर की ऐसी उल्लेखनीय कृति है, जिसके कारण रहबर को तत्कालीन कांग्रेसी सत्ता का कोप-भाजन बनना पड़ा था, और सत्य को अभिव्यक्ति देने के पुरस्कार स्वरूप जेल-यात्राएँ करनी पड़ी थीं। राजसत्ता के तमामतर विरोध के बावजूद ‘गाँधी बेनकाब’ एक लोकप्रिय कृति साबित हुई। पुस्तक का प्रस्तुत आठवाँ संस्करण इस कृति की लोकप्रियता का प्रमाण है। विचार और साहित्य की दुनिया में अपनी निष्पक्ष, बेबाक और मौलिक स्थापनाओं के कारण श्री हंसराज रहबर को सदा आदर से याद किया जाता है। श्री रहबर ने अपने लेखन द्वारा बताया कि शब्द को कैसे अग्नि का पर्याय बनाया जा सकता है।

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Weight 300 g

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