Rigvedadi bhumika ऋग्वेदादि भूमिका
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महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने वेदभाष्य निर्माण से पूर्व एक विस्तृत भूमिका की रचना की जिसमें अपने वेदभाष्य के उद्देश्यों का स्पष्टीकरण किया। इस ग्रन्थ में ऋषि ने अपने सभी वेदविषयक सिद्धान्तों का विशद निरूपण किया है। इसमें लगभग पैंतीस शीर्षकों के अन्दर वेद के प्रमुख प्रतिपाद्य पर प्रभूत प्रकाश डाला गया है जिन में से आगे लिखे विषय विशेष उल्लेखनीय हैं – वेदोत्पत्ति, वेदनित्यत्व, वेदविषय, वेदसंज्ञा, ब्रह्मविद्या, वेदोक्तधर्म, सृष्टिविद्या, पृथिवी आदि का भ्रमण, गणित, मुक्ति, पुनर्जन्म, वर्णाश्रम, पञ्चमहायज्ञ, ग्रन्थप्रामाण्य, वेद के ऋषि – देवता – छन्द – अलंकार- व्याकरण | पुस्तक अपनी नई साज सज्जा, उत्तम- अक्षर-संयोजन बढ़िया कागज और सुदृढ़ जिल्द के साथ पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए हमें हर्ष का अनुभव हो रहा है। हमें विश्वास है, हमारे पाठक इस पुस्तक का स्वागत करेंगे और हमें सहयोग प्रदान करेंगे।
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