Utkrishat Shanka-Samadhan उत्कृष्ट शंका समाधान
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अपने साथ किए गए अन्याय को ईश्वर के न्याय पर तभी तो छोड़ेंगे, जब आप बोलेगें- “ईश्वर न्याय करेगा।”
जिस व्यक्ति के साथ व्यवहार कर रहें हैं, उसके सिर में आपका दिमाग नहीं रखा है, तो फिर वह आपकी इच्छा के अनुकूल ‘व्यवहार कैसे करेगा?
जिन घटनाओं का दंड यहाँ न्यायाधीश और सरकार ने नहीं दिया, नहीं दे पाए, पकड़ में नहीं आए, वो व्यक्ति के खाते में जमा रहेंगे। उनका फल ईश्वर अंत में देगा।
सृष्टि क्रम के विरुद्ध कोई कार्य नहीं हो सकता, और यहाँ तक वह दूँ कि- ईश्वर भी नहीं कर सकता, मनुष्य तो क्या करेगा।
जब हम प्रार्थना करते हैं- ‘हे ईश्वर! हम सौ वर्ष जिएं, सौ से अधिक भी जिए’। इसका मतलब यह है कि हमारी आयु निर्धारित नहीं है। हम कभी भी उसको घटा-बढ़ा सकते हैं।
चाहे चोरी, अन्याय, शोषण या लूटमार कुछ भी करो । व्यक्ति कर्म करने में स्वतंत्र है। इसलिए ईश्वर तत्काल उस समय हाथ नहीं। पकड़ता। जब फल देने का समय आता है, तब ईश्वर फल देता है।
लोग शिकायत करते हैं कि हमारे अच्छे कर्मों का फल अब तक क्यों नहीं मिला? ऐसी शिकायत क्यों नहीं करते कि हमारे पाप कर्मों का दण्ड अब तक क्यों नहीं मिला?
ऐसे अनेक विषयों का समाधान प्रश्न उत्तर के माध्यम से इस पुस्तक में दिया गया है
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