Vedic Nitya Karma and Pancha Mahayagya Vidhi
Rs.300.00
प्रस्तुत पुस्तक का प्रकाशन इसी भावना से किया जा रहा है कि आज के मनुष्य आध्यात्मिकता के महत्त्व को समझें, उसकी ओर प्रवृत्त हों, वैदिक नित्यकर्मों तथा पञ्चमहायज्ञों का प्रचार-प्रसार हो और सभी इनका अनुष्ठान करें और अनुष्ठान के इच्छुक व्यक्तियों को उनकी विधि सरल- सुबोध रूप में उपलब्ध हो सके।
प्रस्तुत पुस्तक की उपादेयता
पाठकों के मन में प्रश्न उठ सकता है कि यज्ञीय विधि सम्बन्धी अनेक पुस्तकें बाजार में उपलब्ध हैं, फिर इस पुस्तक की क्या आवश्यकता है ? इसके उत्तर में मेरा विनम्र निवेदन यह है कि मैंने अपने जीवन में यज्ञानुष्ठान करते समय, यज्ञीय विधियों की पुस्तकों पर मनन करते समय, कुछ ऐसी शंकाओं के समाधान का अभाव पाया, जो एक यज्ञकर्त्ता के मन में उठती रहती हैं। इस पुस्तक का प्रकाशन करके मैंने उन अभावों को दूर करने का प्रयास किया है। संक्षेप में इस पुस्तक की विशेषताओं को इस प्रकार रखा जा सकता है – –
१. यह पुस्तक महर्षि दयानन्द कृत संस्कारविधि तथा पञ्चमहायज्ञविधि पर आधारित है। इसमें महर्षि की विधियों एवं मान्यताओं की पुष्टि की गयी है ।
२. इसमें सभी यज्ञीय विधियों एवं क्रियाओं को सरल एवं सुबोध शैली में स्पष्ट किया गया है। उठने से लेकर शयन तक की पूर्ण नित्यचर्या मन्त्रार्थ सहित दी गयी है ।
३. उपासकों याज्ञिकों के लिए यह आवश्यक है कि वे मन्त्रोच्चारण के साथ-साथ मन्त्रों का अर्थ चिन्तन भी करें तभी सन्ध्याउपासना तथा अग्निहोत्रादि के अनुष्ठान का पूर्ण फल प्राप्त हो सकता है, किन्तु बाजार में ऐसी कोई पुस्तक उपलब्ध नहीं है, जिसमें मन्त्रों का पदार्थ दिया गया हो। यह पुस्तक उस अभाव की पूर्ति करेगी और याज्ञिक जन इसकी सहायता से अर्थ चिन्तनपूर्वक मन्त्रोच्चारण कर सकेंगे। इसमें एक-एक मन्त्रंपद का पृथक्-पृथक् स्पष्ट अर्थ दिया गया है ।
४. शास्त्रों में भी यह आदेश है और व्यवहार में भी यह कहा जाता है कि उपासकों को अर्थपूर्वक मन्त्रों का चिन्तन अथवा उच्चारण करना चाहिए। यह तभी हो सकता है जब मन्त्रपदों के अनुसार अर्थ ज्ञात हो । प्रायः व्याख्याकारों ने शब्दों और पंक्तियों को आगे-पीछे करके अर्थ किये हैं। ऐसे अर्थों का मन्त्र के पदों के क्रम से चिन्तन नहीं हो सकता । इस पुस्तक में, मन्त्र के पदों के क्रम से ही अर्थ करने का प्रयास किया गया है, जिससे उपासक मन्त्रोच्चारण क्रम से अर्थचिन्तन कर सकें ।
५. प्रायः व्याख्याकारों ने यज्ञीय मन्त्रों की व्याख्या पृथक्-पृथक् की है। पाठक यह समझ नहीं पाता कि अर्थ का यह अन्तर किस कारण से है और इन अर्थों का क्या आधार है । इस पुस्तक में जो भी अर्थ किये गये हैं, उसकी पुष्टि में व्याकरण, निरुक्त, ब्राह्मण ग्रन्थों, वेदों तथा महर्षि दयानन्द के प्रमाण दिये गये हैं। इस प्रकार पाठकों को प्रामाणिक अर्थ एवं व्याख्या देने का एक विनम्र प्रयास है । इस प्रकार यह अल्पशिक्षितों तथा उच्चशिक्षितों, दोनों वर्गों के लिए उपयोगी है।
६. मन्त्रों में आये विशिष्ट पदों, विचारणीय स्थलों पर टिप्पणी में प्रमाणपूर्वक, स्पष्ट समीक्षा दी गयी है । आवश्यक स्थलों – पर विशेष कथन देकर प्रतिपाद्य को स्पष्ट किया गया है । ७. यज्ञ सम्बन्धी बहुत सी ऐसी बातें हैं जिनका स्पष्टीकरण यज्ञीय विधि-पुस्तकों में नहीं मिलता, जैसे- महर्षि दयानन्द द्वारा विहित न्यून-से-न्यून एक घण्टा तक सन्ध्या कैसे की जा सकती है ? दीर्घयज्ञ की विधि क्या है ? न्यून-सेन्यून सोलह आहुतियाँ कौन-सी हैं ? एक काल के यज्ञ की विधि क्या है ? आदि शंकाओं का टिप्पणी में स्पष्टीकरण दिया गया है । ८. अन्त में यज्ञादि धार्मिक अवसरों पर गाये जानेवाले भक्तिगीतों, प्रार्थनाओं का पर्याप्त संग्रह है।
९. पुस्तक में स्थूलाक्षर टाइप का प्रयोग किया गया है, जिससे आबाल-वृद्ध सभी बिना कठिनाई के पढ़ सकें
१०. अधिक उपयोगी संस्करण – प्रस्तुत संस्करण को और अधिक उपयोगी बनाया गया है। इसमें, लोकव्यवहार में प्रचलित प्रमुख संस्कारों, सामाजिक प्रथाओं और आर्यपर्वों के अनुष्ठान की विधियाँ भी दे दी गयी हैं। अब आप इस एक ही पुस्तक से अनेक अनुष्ठान सम्पन्न कर सकते हैं।
११. पुरोहितों के लिए विशेष उपयोगी – बहुप्रचलित प्रायः सभी अनुष्ठान इस पुस्तक में एकत्र होने से यह पुरोहितों के लिए में विशेष उपयोगी एवं सुविधाजनक है।
– आचार्य सत्यानन्द ‘नैष्ठिक’
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आचार्य सत्यानंद जी नैष्ठिक द्वारा सम्पादित यह संस्करण अति महत्वपूर्ण है, विशेष यह पुरोहित वर्ग के कार्य को करवाने वाले है उनके लिए बहुत ही उपयोगी है।
क्योंकि इसमें प्रत्येक मंत्र अर्थात् संध्या, हवन, स्वस्तिक वाचन, शान्ति करणम्, विशेष अवसरों पर किये जाने वाले मंत्रों का संकलन व हिन्दी में अनुवाद है।
इसका पुनः प्रकाशन 2022 में हुआ है, इसमें कुल 376 पृष्ठ है, हार्ड कवर में बहुत ही सुन्दर व मजबूत बाईंडिग व कागज की क्वालिटी बहुत ही अच्छी है।
Weight | 600 g |
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