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Vaidik panchang (shre mohan krti arsha patrakam )
Rs.125.00Sold By : The Rishi Mission Trustविश्व भर के हिंदू भाई-बहनों को यह बता देना मैं अपना धार्मिक दायित्व समझता हूं कि हम सब अपने व्रत-पर्व-त्योहारों की तिथियों के निर्धारण में बहुत बड़ी गलतियों पर हैं, इसका कारण वैदिक मार्गदर्शन से विमुख एवं धार्मिक रूढ़िवादिता से ग्रसित, वर्तमान के सभी पंचांग अवैज्ञानिक, अप्राकृतिक तथ्यहीन अथवा सक्रांतियों पर आधारित होना है,
यह सत्य है कि मकर सक्रांति अर्थात माघी, वस्तुतः जनवरी में एवं मेष सक्रांति अर्थात वैशाखी अप्रैल माह में न कभी हुई है ना हो सकती और ना कभी होगी ही आम ज्योतिषियों की अवधारणा के विरुद्ध सभी 28 नक्षत्र (न कि केवल 27 समान अथवा 13.20 कला के नहीं है), संवत का शुक्ल पक्ष से प्रारंभ होना किंतु चंद्रमासों से कृष्ण पक्ष से प्रारंभ होना अवैदिक और अप्राकृतिक तथ्य है चान्द्र मास शुक्लादि ही होते हैं और किसी भी सक्रांति के बाद प्रारंभ होने वाला शुक्ल पक्ष उसी सौर मास के नाम का चंद्र्पक्ष होता है यह तथ्य श्रद्धेय शंकराचार्यों विभिन्न विश्वविद्यालयों के विभागाध्यक्ष व शिक्षाविद् एवं लगभग सभी पंचांग कारों के संज्ञान में लाने की हमारी कोशिश रही है अब आम जनता को भी इस अपमान दाई भूल से अवगत कराने का हमारा उद्देश्य एवं प्रयास है वास्तविक माघ शुक्ल पक्ष एवं तदुपरांत माघ कृष्ण पक्ष सूर्य की परम क्रांति प्रभाव से गठित होने वाली वास्तविक मकर सक्रांति पर ही आधारित होते हैं ठीक इसी प्रकार वैशाखी भ सूर्य की शून्यक्रांति युक्त मेष राशि केशून्य भोगांश पर ही आधारित होती है जनवरी की अयथार्थ मकर सक्रांति से ना तो शुद्ध माघ शुक्ल पक्ष का निर्धारण ही हो सकता है और ना ही इस गलत स्वीकृति से कोई पंचांग ही शुद्ध या स्वीकार्य हो सकता है माघ, एक उदाहरण के तौर पर इंगित किया गया है वस्तुतः: इसी तरह सारी ही 12 सक्रांतिया गलत ली जा रही है इसी कारण से सारे सौर एवं चंद्रमास गलत स्थिति में दर्शाया जा रहे हैं,
यह भी जानना चाहिए कि उत्तरायण तथा शिशिर ऋतु का आरंभ, यही मकर सक्रांति का दिन होता है और इसी दिन रात्रि सबसे बड़ी और दिन सबसे छोटा होता है और साथ ही मकर रेखा क्षेत्र पर वस्तु का छायालोप हो जाता है, छायालोप अर्थात छाया का ना बनना इसी प्रकार वैशाखी के दिन रात्रि का बराबर होना व भूमध्य रेखा क्षेत्र पर वस्तु का छायालोप होना सर्वथा प्रत्यक्ष है आप मानिये और अन्तत: आपको मानना ही होगा कि एक मात्र शुद्ध वैदिक पंचांग श्री मोहन कृति आर्ष पत्रकम ही है, जो कि सिद्धांत सम्मत होने से सही व्रत-पर्व-तिथियों के लिए आपका सम्यक मार्गदर्शन करता है, याद रखें कि यदि आप का वास्तविक पंचांग है अस्तु समस्त हिंदू समाज को चाहिए कि इस पंचांग के अनुसार निर्धारित तिथियों में अपने व्रत-पर्व और त्योहार मनायें
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