आर्य समाज क्या है? arya samaj kya hai?
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इस छोटी-सी पुस्तक का उद्देश्य है कि आर्यसमाज से अपरिचित पुरुषों को आर्यसमाज के नियमों और मोटे-मोटे सिद्धान्तों का परिचय दिया जाए। आर्यसमाज अथवा वेदों के गूढ़ सिद्धान्तों का ज्ञान तो कुछ काल में अनेक पुस्तकों का स्वाध्याय करने से ही हो सकता है । पुस्तक में जिन-जिन विषयों का समावेश है उन्हें खोलकर प्रकट करने का प्रयत्न किया गया है। आर्यसमाज के सिद्धान्तों का स्थानस्थान पर विज्ञान मूलक होना भी बतलाया गया है जिससे यह बात पाठकों की समझ में आ जाए कि वैदिक धर्म की उन्नति तर्क और विज्ञान की उन्नति के साथ-साथ ही होती चली जाएगी। वैदिक धर्म ही पृथ्वी तल पर ऐसा धर्म है जिसको तर्क और विज्ञान से कुछ भी भय नहीं है, अपितु इनकी उन्नति के साथ-साथ ही उसकी उन्नति का होना वैदिक धर्म के प्रचार से स्पष्ट है । हिन्दुस्तान से बाहर यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के अनेक स्थानों पर, बिना किन्हीं प्रचारकों के पहुँचे हुए ही आर्यसमाज स्थापित हो जाना, प्रमाणित करता है कि यदि वैदिक धर्म की दीक्षा देने के लिए वे देश से बाहर निकल, जहाँ भी जाएँगे, सफलता उनका स्वागत करने को तैयार मिलेगी। यदि इस तुच्छ लेख से कुछ सज्जनों का ध्यान वैदिक साहित्य के स्वाध्याय की ओर हो गया तो मैं अपना परिश्रम सफल समझँगा।
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