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देवर्षि दयानंद चरित Devarshi Dayanand Charit

Rs.90.00

प्रज्वलित दीप अनगिनत बुझे हुए दीयों को जीवन्त बना आभा और गरिमायुक्त बना देता है। आदर्श पुरुष दयानन्द ने समाधि सुख को तिलाञ्जली देकर अपने समय की विषम परिस्थितियों में अन्धकारमय वातावरण में जीवन जीनेवाले मानवों के कल्याणार्थ कंटकाकीर्ण मार्ग का चयन किया । देव दयानन्द ने अपने जीवन को प्रतीक बना दिया जिसे देखकर कथनी-करनी की एकरूपता का सुखद अनुभव व्यक्ति को होता है ।

इस जीवनी के अध्ययन चिन्तन-मनन से ज्ञात होता है कि ऋषि दयानन्द ने व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास का मार्ग प्रशस्त किया । वह भौतिकता व अध्यात्म के प्रखर समन्वयक थे । वह ऐसे विरले अध्यात्मवादी थे जिनके अन्तर में राष्ट्रभक्ति का सागर हिलोरें लेता था। उनकी दृष्टि में समाज का स्थान ऊपर था । यह जीवनी देव दयानन्द के जीवन पर अच्छा प्रकाश डालती है ।

हमारे आदरास्पद पूज्य स्वामी श्री जगदीश्वरानन्दजी सरस्वती ने इसका लेखन जिस कुशलता से किया है वह सहजग्राह्य है। इस पुस्तक के अनेकों संस्करण निकले हैं और हम आशा करते हैं निकलते रहेंगे। हम आशा करते हैं कि इसके पाठक इसे पढ़कर अन्यों को भी पढ़वाकर उन्हें प्रेरित और उत्साहित करेंगे ।

– प्रभाकरदेव आर्य

(In Stock)

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प्रज्वलित दीप अनगिनत बुझे हुए दीयों को जीवन्त बना आभा और गरिमायुक्त बना देता है। आदर्श पुरुष दयानन्द ने समाधि सुख को तिलाञ्जली देकर अपने समय की विषम परिस्थितियों में अन्धकारमय वातावरण में जीवन जीनेवाले मानवों के कल्याणार्थ कंटकाकीर्ण मार्ग का चयन किया । देव दयानन्द ने अपने जीवन को प्रतीक बना दिया जिसे देखकर कथनी-करनी की एकरूपता का सुखद अनुभव व्यक्ति को होता है ।

इस जीवनी के अध्ययन चिन्तन-मनन से ज्ञात होता है कि ऋषि दयानन्द ने व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास का मार्ग प्रशस्त किया । वह भौतिकता व अध्यात्म के प्रखर समन्वयक थे । वह ऐसे विरले अध्यात्मवादी थे जिनके अन्तर में राष्ट्रभक्ति का सागर हिलोरें लेता था। उनकी दृष्टि में समाज का स्थान ऊपर था । यह जीवनी देव दयानन्द के जीवन पर अच्छा प्रकाश डालती है ।

हमारे आदरास्पद पूज्य स्वामी श्री जगदीश्वरानन्दजी सरस्वती ने इसका लेखन जिस कुशलता से किया है वह सहजग्राह्य है। इस पुस्तक के अनेकों संस्करण निकले हैं और हम आशा करते हैं निकलते रहेंगे। हम आशा करते हैं कि इसके पाठक इसे पढ़कर अन्यों को भी पढ़वाकर उन्हें प्रेरित और उत्साहित करेंगे ।

– प्रभाकरदेव आर्य

Weight 500 g

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