ऋषि मिशन के पंजीकृत सदस्यों व सभी साहित्य प्रेमियों को वैदिक साहित्य की खरीद करने पर अब 10 से 40% की छूट उपलब्ध है, फ्री शिपिंग 2000/- की खरीद पर केवल पंजीकृत सदस्यों के लिए उपलब्ध रहेगी जिसे वह अपना कूपन कोड डालकर इसका लाभ उठा पाएंगे..... ऋषि दयानंद सरस्वती कृत 11 पुस्तकें निशुल्क प्राप्त करने के लिए 9314394421 पर सम्पर्क करें धन्यवाद
 

Rishi Mission is a Non Profitable Organization In India

Cart

Your Cart is Empty

Back To Shop

Rishi Mission is a Non Profitable Organization In India

Cart

Your Cart is Empty

Back To Shop
Sale

यजुर्वेद संहिता Yajurved Sanhita

Rs.180.00

यह यजुर्वेद मूल मन्त्र संहिता है, यजुर्वेद परिचय चारों वेद संहिताओं में यजुर्वेद का दूसरा स्थान है। मन्त्रों की संख्या की दृष्टि से यह तीसरे स्थान पर है। चालीस अध्यायों में विभक्त यजुर्वेद की कुल मन्त्र संख्या 1975 है। भारतीय संस्कृति में यह मान्यता है कि मनुष्य को अपने जीवन में चतुर्विध पुरुषार्थ की प्राप्ति के लिए प्रयत्न करना चाहिए। ये चार पुरुषार्थ हैं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष । इसी जीवन में यदि कोई मनुष्य इन चारों पुरुषार्थों को पा लेता है तो इसे उस के जीवन की सफलता समझना चाहिए। ‘धर्म’ शब्द जिस धातु से बना है उस का अभिप्राय धारण करने या धारण किये जाने से है।’ हमारे शास्त्रों में धर्म की विभिन्न परिभाषाएं दी गई हैं। वस्तु के स्वभाव को धर्म बतलाने वाली परिभाषा सर्वाधिक वैज्ञानिक तथा तर्क की कसौटी पर खरी उतरती है। किसी व्यक्ति, वस्तु या पदार्थ के सहज गुणों को उस का धर्म कहा जाना उचित ही है। इस परिभाषा के अनुसार अग्नि का जलाने का स्वभाव उस का धर्म है तो जल की प्रवाहशीलता उस का धर्म है। वायु का प्रवाहित होना, बहना ही धर्म है तो धरती की धारण क्षमता उस का सहज धर्म है। दयानन्द सरस्वती के अनुसार धर्म वह है जो पक्षपात से रहित, न्याय से युक्त तथा सत्यभाषण से संयुक्त है। वे ईश्वर की आज्ञा के रूप में मानव जाति को प्राप्त वेदों की आज्ञा को भी धर्म मानते हैं

(In Stock)

Compare
Weight 1000 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “यजुर्वेद संहिता Yajurved Sanhita”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

X

Cart

Your Cart is Empty

Back To Shop