स्वास्थ्य के शत्रु svasthy ke shatru
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प्राचीनकाल से ही यह विचारणीय विषय रहा है कि मनुष्यों को शाकाहार करना चाहिये अथवा मांसाहार ? शाकाहार के समर्थक सदैव से ही यह कहते आए हैं कि मनुष्य को मांसाहार नहीं करना चाहिये, क्योंकि मांस मनुष्य का भोजन नहीं है, परन्तु मांसाहारी भी मांस खाने के पक्ष में अनेक बातें कहते आए हैं। यहाँ निष्पक्ष होकर यह विचार करना है कि मनुष्य का भोजन शाक है या मांस ? इस विषय को तीन कसौटियों पर कसकर निर्णय किया जा सकता है –
१. धार्मिक,
२. स्वास्थ्य और
३. सांसारिक लाभ।
इस सभी विषयों को विस्तारपूर्वक आगे के अध्यायों में लिखा गया है। अण्डा-मांसाहार के साथ-साथ मदिरापान, तमाखू, गुटखा, चरस, स्मैक, आदि की हानियों को भी वैज्ञानिक रूप में विस्तारपूर्वक लिखा गया है ।
प्रस्तुत पुस्तक को लिखने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि मनुष्य अण्डा – मांसाहार, मदिरापान, तमाखू, गुटखा, चरस, स्मैक, ब्राउनशुगर, आदि तामसी और अत्यन्त हानिकारक पदार्थों का सेवन त्यागकर केवल अन्न, फल, शाक- भाजी, दूध-घी, आदि शुद्ध- सात्विक शाकाहारी पदार्थों का ही सेवन करें तथा सभी मनुष्य स्वस्थ और सुखी रहें ।
सुहृद पाठकों से निवेदन है कि वे इस पुस्तक को मनोयोगपूर्वक पढ़कर स्वयं लाभ उठाएँ तथा संसार के कल्याण हेतु अधिक-सेअधिक पाठकों को पढ़वाएँ ।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक संसार का बहुत अधिक कल्याण करेगी और मानवता की सेवा हेतु मेरा यह लघु प्रयास सफल होगा ।
प्रस्तुत पुस्तक में जिन समाचार पत्र, पत्रिकाओं और पुस्तकों से सहायता ली गई है, मैं उनके सम्पादकों और लेखकों के प्रति हृदय से आभारी हूँ। –
– डॉ० वेदप्रकाश –
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