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श्रीमती प्रेमवती आर्या ऋषि वाटिका अजमेर ने अपनी पवित्र व सात्विक कमाई से ऋषि मिशन ट्रस्ट को 1100/रू प्रदान कर वार्षिक सदस्यता ग्रहण की वा तन, मन, धन से सहयोग करने का संकल्प लिया है, मिशन परिवार आपके सुखमय जीवन की कामना करता है व अपेक्षा करता है कि भविष्य में भी आप सहयोग प्रदान करते रहेंगे।
आर्यसमाज के नियम १. सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं उन सब का आदि मूल परमेश्वर है । २. ईश्वर सच्चिदानंदस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान्, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनंत, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वांतर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करनी योग्य है । ३. वेद सब सत्यविद्याओं की पुस्तक है । वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है । ४. सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए । ५. सब काम धर्मानुसार अर्थात् सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहिए । ६. संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है—अर्थात् शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना । 7. सबसे प्रीतिपूर्वक धर्मानुसार यथायोग्य बरतना चाहिए । ८. अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए । ९. प्रत्येक को अपनी ही उन्नति में संतुष्ट नहीं रहना चाहिए, किंतु सब की उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिए । १०. सब मनुष्यों को सामाजिक सर्वहितकारी नियम पालने में परतंत्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतंत्र रहें ।
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