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हमारे सुख का आधार वैदिक शिक्षाओं का आचरण”

ओ३म् “जन्म-जन्मान्तरों में हमारे सुख का आधार वैदिक शिक्षाओं का आचरण” हम संसार में हमने पूर्वजन्मों के कर्मों का फल भोगने तथा जन्म-मरण के चक्र से छूटने वा दुःखों से मुक्त होने के लिये आये हैं। मनुष्य जो बोता है वही काटता है। यदि गेहूं बोया है तो गेहूं ही उत्पन्न होता है। हमने यदि …

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“मानव जाति की सबसे उत्तम सम्पत्ति ईश्वर एवं वेद”

“मानव जाति की सबसे उत्तम सम्पत्ति ईश्वर एवं वेद” वर्तमान समय में मनुष्य का उद्देश्य धन सम्पत्ति का अर्जन व उससे सुख व सुविधाओं का भोग बन गया है। इसी कारण से संसार में सर्वत्र पाप, भ्रष्टाचार, अन्याय, शोषण, अभाव, भूख, अकाल मृत्यु आदि देखने को मिलती हैं। इसके अतिरिक्त अविद्यायुक्त मत-मतान्तर अपने प्रसार की …

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“वेदर्षि दयानन्द द्वारा स्थापित आर्यसमाज हमें प्रिय क्यों हैं?”

“वेदर्षि दयानन्द द्वारा स्थापित आर्यसमाज हमें प्रिय क्यों हैं?” संसार में अनेक संस्थायें एवं संगठन हैं। सब संस्थाओं एवं संगठनों के अपने अपने उद्देश्य एवं उसकी पूर्ति की कार्य- पद्धतियां है। सभी संगठन अपने अपने उद्देश्यों को पूरा करने के किये कार्य करते हैं। आर्यसमाज भी विश्व का अपनी ही तरह का एकमात्र अनूठा संगठन …

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मनुष्य को अपने लाभ के लिए ईश्वर की उपासना करनी चाहिये

ओ३म् “मनुष्य को अपने लाभ के लिए ईश्वर की उपासना करनी चाहिये” ========== मनुष्य मननशील प्राणी है। वह अपनी रक्षा एवं हित के कार्यों में संलग्न रहता है। अपनी रक्षा के लिए वह अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देता है तथा सज्जन पुरुषों से मित्रता करता है जिससे असुरक्षा एवं विपरीत परिस्थितियों में वह उसके सहायक …

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देवयज्ञ अग्निहोत्र

ओ३म् “देवयज्ञ अग्निहोत्र का करना मनुष्य का पुनीत सर्वहितकारी कर्तव्य” ========== मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। मननशील होने से ही दो पाये प्राणी की मनुष्य संज्ञा है। मननशीलता का गुण जीवात्मा के चेतन होने से मनुष्य रूपी प्राणी को प्राप्त हुआ है। जड़ पदार्थों को सुख व दुख तथा शीत व ग्रीष्म का ज्ञान …

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