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श्रीमान मनीष भाई टंकारा ने अपनी पवित्र व सात्विक कमाई से ऋषि मिशन ट्रस्ट की वार्षिक सदयता हेतु 1100/ रु.का दान प्रदान किया है, मिशन परिवार आपके सुखमय जीवन की कामना करता है व अपेक्षा करता है कि भविष्य में भी आप सहयोग प्रदान करते रहेंगे।
सदस्यता 1100/ दान 650/
आर्यसमाज के नियम १. सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं उन सब का आदि मूल परमेश्वर है । २. ईश्वर सच्चिदानंदस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान्, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनंत, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वांतर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करनी योग्य है । ३. वेद सब सत्यविद्याओं की पुस्तक है । वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है । ४. सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए । ५. सब काम धर्मानुसार अर्थात् सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहिए । ६. संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है—अर्थात् शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना । 7. सबसे प्रीतिपूर्वक धर्मानुसार यथायोग्य बरतना चाहिए । ८. अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए । ९. प्रत्येक को अपनी ही उन्नति में संतुष्ट नहीं रहना चाहिए, किंतु सब की उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिए । १०. सब मनुष्यों को सामाजिक सर्वहितकारी नियम पालने में परतंत्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतंत्र रहें ।
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