आर्य समाज का इतिहास History of Arya Samaj
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यह इतिहास क्यों पढ़ें ? बंधुओं, आप प. इंद्र विद्यावाचस्पति द्वारा दो भागों में लिखित आर्य समाज का इतिहास पढ़ चुके है, वह महर्षि दयानंद के जन्म से लेकर देश विभाजन पर्यन्तका विस्तृत इतिहास तथा उसका विश्लेषण है, महर्षि दयानंद की विचार धारा ने जनमानस पर गहरा प्रभाव छोड़ा, सर्वप्रथम स्वराज्य और स्वशासनका उद्घोष करने वाले महर्षि दयानंद ही थे, महर्षि ने ही स्वतंत्रता संग्राम का शंखनाद किया और भारतीयों के मन में क्रांति का बीज बोया, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले 80 प्रतिशत नेता और क्रान्तिकारी कहीं न कहीं आर्यसमाज की विचारधारा से प्रभावित थे, आर्यसमाज का सबसे अधिक विस्तार पंजाब में था और देश विभाजन का सबसे अधिक नुकसान पंजाब को ही हुआ, इसलिए देश विभाजन से आर्यसमाज को भारी नुकसान उठाना पड़ा, हमारी कई संस्थाएं, प्रमुख आर्य समाजें, स्कूल व कोलेज, पुस्तकालय व् प्रकाशन विभाग पाकिस्तान में ही रह गए, जिनको विधर्मियों ने नष्ट कर दिया, विभाजन के बाद आर्य समाज ने अपने आहत शरीर से कैसे जीवन यापन किया और कैसे वह फिर से उठ खड़ा हुआ, यह इस भाग से जानें प्रो. राजेन्द्र जिज्ञासु की खोज पूर्ण कलम से लिखें प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से , आशा है बड़ों की यह बड़ी बातें आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करेगी और उनमें नई उर्जा का संचार करेगी
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