Aryodeshyaratnamala
Rs.10.00
महर्षि दयानन्द ने अपनी समस्त निर्णीत सत्य-मान्यता रूपी रत्नों का प्रकाश ‘आर्योद्देश्यरत्नमाला’ तथा ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश में किया है। महर्षि ने जीवन भर इन्हीं मान्यताओं का लिखित तथा मौखिक रूप से प्रचार किया । क्योंकि ये सभी मान्यताएँ वे हैं, जिन्हें ब्रह्मा से लेकर जैमिनि पर्यन्त आप्त महर्षि मानते रहे हैं। महर्षि ने ‘आर्योद्देश्यरत्नमाला’ का प्रथम प्रकाशन लोगों की आकांक्षा के अनुरूप कराया था और ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश सत्यार्थप्रकाश (द्वितीय संस्करण) के साथ सं० १६३६ वि० में संलग्न किया था, अतः ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ महर्षि की मान्यताओं का एक परिमार्जित स्वरूप ही है। महर्षि के सिद्धान्तों को भली-भाँति समझने के लिये इन दोनों पुस्तिकाओं की उपयोगिता समझकर ‘ट्रस्ट’ ने पाठकों की सुविधा के लिए एकत्र प्रकाशन करवाया है। इन दोनों का एक ही विषय होने से इनमें परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध भी है। आशा है कि पाठक इस संगृहीत प्रकाशन से अधिक लाभान्वित होंगे ।
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