Maine Gandhi Vavh Kyu Kiya
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मैंने गांधी वध क्यों किया? मैंने गांधी
नाथूराम गोडसे
गाँधीजी की हत्या पूरे विश्व को, विशेषकर भारत को, चौंका देने वाली एक बड़ी घटना थी। लेकिन इस घटना को अंजाम देने वाले हत्यारे नाथूराम गोडसे के बारे में हमारी पाठ्य पुस्तकों से लेकर अन्य प्रचार माध्यमों के द्वारा आम जनता को बस इतना ही बताया गया कि मानसिक रूप से विक्षिप्त ‘नाथूराम’ नाम के व्यक्ति ने गाँधीजी की संध्या प्रार्थना के लिए जाते हुए गोली मार कर हत्या कर दी ।
उसी विक्षिप्त बुद्धि बताये गये व्यक्ति नाथूराम गोडसे ने विशेष न्यायालय में अपना एक लम्बा बयान दिया था, जो लगभग एक सप्ताह चला था कि मैंने गाँधीजी को क्यों मारा। उसके इस बयान को सार्वजनिक होने पर तत्कालीन सरकार ने सभी प्रसार माध्यमों पर रोक लगा दी। 1968 में मुम्बई उच्च न्यायालय ने रोक हटा दी । नाथूराम का पूरा बयान क्या था यही इस पुस्तक का विषय है। प्रबुद्ध पाठकों को जानना जरूरी है कि नाथूराम ने भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता को किन कारणों से मारने का विचार बनाया।
-सम्पादक
मैं यह मानने को तैयार हूँ कि गांधी जी ने जनता में जागृति पैदा की। उन्होंने स्वार्थवश कुछ नहीं किया, परन्तु दुःख यह है कि वे इतने ईमानदार नहीं थे कि अहिंसा की हार को स्वीकार कर लेते। मैंने दूसरे भारतीय देशभक्तों और नेताओं के भी चरित्र पढ़े हैं, जिन्होंने गांधी जी से अधिक बलिदान किए हैं। कुछ भी हो, गांधी जी ने देश की जो सेवा की है उसके लिए मैं उनका आदर करता हूँ। उन पर गोली चलाने के पूर्व मैं उनके सम्मान में इसीलिए नत-मस्तष्क हुआ था । किन्तु जनता को धोखा देकर पूज्य मातृभूमि के विभाजन का अधिकार किसी बड़े से बड़े महात्मा को नहीं है। गांधी जी ने देश को छल कर देश के टुकड़े किए। क्योंकि ऐसा न्यायालय या कानून नहीं था जिसके आधार पर ऐसे अपराधी को दण्ड दिया जा सकता, इसलिए मैंने गांधी को गोली मारी । उनको दण्ड देने का केवल यही एक तरीका रह गया था । – नाथूराम गोडसे
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मैंने गांधी वध क्यों किया?
मैंने गाँधीजी की हत्या पूरे विश्व को, विशेषकर भारत को, चौंका देने वाली एक बड़ी घटना थी। लेकिन इस घटना को अंजाम देने वाले हत्यारे नाथूराम गोडसे के बारे में हमारी पाठ्य पुस्तकों से लेकर अन्य प्रचार माध्यमों के द्वारा आम जनता को बस इतना ही बताया गया कि मानसिक रूप से विक्षिप्त ‘नाथूराम’ नाम के व्यक्ति ने गाँधीजी की संध्या प्रार्थना के लिए जाते हुए गोली मार कर हत्या कर दी ।
उसी विक्षिप्त बुद्धि बताये गये व्यक्ति नाथूराम गोडसे ने विशेष न्यायालय में अपना एक लम्बा बयान दिया था, जो लगभग एक सप्ताह चला था कि मैंने गाँधीजी को क्यों मारा। उसके इस बयान को सार्वजनिक होने पर तत्कालीन सरकार ने सभी प्रसार माध्यमों पर रोक लगा दी। 1968 में मुम्बई उच्च न्यायालय ने रोक हटा दी । नाथूराम का पूरा बयान क्या था यही इस पुस्तक का विषय है। प्रबुद्ध पाठकों को जानना जरूरी है कि नाथूराम ने भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता को किन कारणों से मारने का विचार बनाया।
मैं यह मानने को तैयार हूँ कि गांधी जी ने जनता में जागृति पैदा की। उन्होंने स्वार्थवश कुछ नहीं किया, परन्तु दुःख यह है कि वे इतने ईमानदार नहीं थे कि अहिंसा की हार को स्वीकार कर लेते। मैंने दूसरे भारतीय देशभक्तों और नेताओं के भी चरित्र पढ़े हैं, जिन्होंने गांधी जी से अधिक बलिदान किए हैं। कुछ भी हो, गांधी जी ने देश की जो सेवा की है उसके लिए मैं उनका आदर करता हूँ। उन पर गोली चलाने के पूर्व मैं उनके सम्मान में इसीलिए नत-मस्तष्क हुआ था । किन्तु जनता को धोखा देकर पूज्य मातृभूमि के विभाजन का अधिकार किसी बड़े से बड़े महात्मा को नहीं है। गांधी जी ने देश को छल कर देश के टुकड़े किए। क्योंकि ऐसा न्यायालय या कानून नहीं था जिसके आधार पर ऐसे अपराधी को दण्ड दिया जा सकता, इसलिए मैंने गांधी को गोली मारी । उनको दण्ड देने का केवल यही एक तरीका रह गया था । – नाथूराम गोडसे
Weight | 400 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
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