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Ved Pravachan वेद प्रवचन

Rs.85.00

विद्वान् तीन प्रकार के होते हैं- ज्ञानी, प्रवचनकर्त्ता और लेखक। प्रथम वे, जो ज्ञान के भण्डार तो होते हैं, किन्तु उनमें प्रवचन करने का तथा लेखन का उत्साह नहीं होता है। दूसरे, जो सञ्चित ज्ञान को प्रवचन, उपदेश, कथा तथा अध्यापन द्वारा अन्यों तक पहुँचाने में समर्थ होते हैं। तीसरे, जो उपार्जित ज्ञान-विज्ञान को प्रवचन के द्वारा दूसरों तक पहुँचाने के साथ ही उसे चिरस्थायी बनाने के लिये उसको लेखरूप में प्रकाशित करते हैं। माननीय मनस्वी डॉ. धर्मवीर जी में वैदुष्य के ये तीनों गुण थे। जहाँ वे विविध ज्ञान – धाराओं के धनी थे, वहीं शास्त्रीय प्रवचन उनके दैनिक कार्यक्रम का एक अभिन्न अङ्ग था। प्रवचन-प्रचक्षणता के साथ ही वे लेखनी के भी जाने-माने प्रयोक्ता थे । ‘परोपकारी’ आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित उनके सम्पादकीय लेख उनकी सिद्धहस्त लेखन कला के प्रमाण हैं। जहाँ सामाजिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक आदि विषयों पर तथा समसामयिक आन्दोलनों पर उनकी लेखनी मुखरता के साथ चलती थी, वैसे ही शास्त्र – विवेचन पर भी वह उतनी ही प्रभावशाली होती थी ।

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Sold By : The Rishi Mission Trust Categories: ,
Weight 200 g
Dimensions 22 × 14 × 2 cm

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